कानपुर (उप्र)।
आत्मीय साहित्यिक समागम संस्था के संस्थापक सत्येन्द्र तिवारी की पुस्तक ‘मौसम-मौसम मन’ के विमोचन का कार्यक्रम वरिष्ठ गीतकार डाॅ. अवध बिहारी श्रीवास्तव के कानपुर स्थित आवास में हुआ। इसमें शिवकुमार सिंह कुॅंवर, वीरेन्द्र आस्तिक, जयराम सिंह गौर, डाॅ. मंजू श्रीवास्तव, राघवेन्द्र भदौरिया, संजय ‘सागर’ एवं श्रीमती रश्मि ‘लहर’ आदि शामिल हुए। सभी ने शानदार रचनाएँ प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में पुस्तक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद कवियों ने रचना पाठ से समारोह को मनोरम बना दिया। आरंभ देवेन्द्र सफल की सरस्वती वंदना से हुआ। अवध बिहारी ने अपना सुप्रसिद्ध गीत-‘जितना खिड़की से दिखता है, बस उतना सावन मेरा है।’ सुनाकर सबका दिल जीत लिया।
अविस्मरणीय गीत ‘सूख जाते हैं सुमन, ऐ गंध तेरी हार है।’ सुनाते हुए वीरेन्द्र आस्तिक ने पुरानी यादें ताजा कीं। सभी लोग एक-दूसरे की खूब हौंसला-अफजाई करते रहे।श्रीमती रश्मि ‘लहर’ ने जब ‘शैशवी मन के पुलक की कल्पना लिखती रही, मृदुल पग धर जिन्दगी प्रस्तावना लिखती रही’ सुनाया तो सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। संजय ‘सागर’ ने भी ‘प्यार में ये फासले हैं किसलिए, जीते-मरते हम रहे हैं किसलिए’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। जयराम सिंह गौर, राजेंद्र तिवारी, अंजनी सरीन और राघवेंद्र भदौरिया ने भी रचनाएँ प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।
रोचक संचालन जयराम सिंह जय ने किया। संस्था की सचिव रश्मि ‘लहर’ ने आयोजन की सफलता पर सभी को शुभकामना दी तथा आभार व्यक्त किया।
विमोचन अवसर पर संस्था के संस्थापक ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में वर्षों से सहायता करने वाले वरिष्ठ रचनाकारों अवध बिहारी श्रीवास्तव, शिव कुमार सिंह कुॅंवर तथा जयराम सिंह गौर जी को ‘पं. हजारी लाल तिवारी काव्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया।