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यहीं हैं स्वर्ग

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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इंसानियत
अनमोल उपहार
दिखानी चाहिए मानवता
यही हैं
स्वर्ग।

माँ
सबसे बड़ी
करना खूब सेवा
दोबारा नहीं
अवसर।

रिश्ते
बड़ी नियामत
रखना पड़ता है
बड़ा कलेजा
टिकते।

प्रेम
नि:स्वार्थ मिले
भाग्य का खेल
सब मतलबी
बे-मेल।

चिंतन
करना होगा।
करना है भला
कड़े फैसले
सुफल॥