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यह नयी सुबह

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष)..

ये है भारत का उज्जवल भविष्य,
चलता जा रहा है गणतंत्र 
ऊँचाइयों की बढ़ती जा रही है ये साख,
लोकतंत्र के लिए यह नयी सुबह है।

विकसित भारत के बढ़ते कदम,
जनमानस के विश्वास के क्षण 
प्रगति पथ का यह हर एक पल,
लोकतंत्र के लिए यह नयी सुबह है।

गणतंत्र की इस प्रबलता का विराट परिदृश्य,
विश्व पटल पर भारत माता का यह सम्मान 
कभी भी कम नहीं होगा,
क्योंकि, लोकतंत्र के लिए यह नयी सुबह है।

उम्मीदों के पंख ऊँचाइयों के शिखर,
पर लहराता है भारत के विश्वास का तिरंगा 
यह विश्व गुरु को सम्मान दिलाता है,
क्योंकि, लोकतंत्र के लिए यह नयी सुबह है।

भारत का संविधान ही इसका आधार है,
गणतंत्र के इस सागर में बढ़ता भारत।
विकास की हर एक ऊँचाई को छुएंगे,
क्योंकि, लोकतंत्र के लिए यह नयी सुबह है॥