मुम्बई (महाराष्ट्र)।
लता जी का सतत लेखन, बहुभाषी कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन साहित्य के प्रति भरपूर निष्ठा का प्रतीक है। साहित्य के प्रति उनका समर्पण, मिलनसार व्यक्तित्व और हँसमुख चेहरा सबको एक उर्जा प्रदान करता है। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
यह बात मुख्य अतिथि वरिष्ठ लघुकथाकार सेवा सदन प्रसाद (नवी मुम्बई) ने कही। यह अवसर बना विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम की ओर से ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ पर पनवेल नवी मुम्बई से आभासी काव्य गोष्ठी और पुस्तक लोकार्पण का। इस ‘मातृभाषिक आभासी काव्य गोष्ठी’ कार्यक्रम में विविध राज्यों से काव्यप्रेमियों ने उपस्थित होकर इसे सफल बनाया।
गोष्ठी में काव्यप्रेमियों के समक्ष आभासी तरीके से लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ की पुस्तक ‘संस्कार एवं संकल्प’ (लघुकथा संग्रह) का विमोचन हुआ। इसकी अध्यक्षता प्रमुख लघुकथा लेखक-शोधकर्ता कांता रॉय ने की। मुख्य अतिथि प्रमुख लघुकथाकार सेवासदन प्रसाद और विशिष्ट अतिथि कवयित्री और संपादिका मैत्रयी कमीला रही। मीना माहेश्वरी ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुरूआत की। कांता रॉय ने पुस्तक का विश्लेषण करते हुए बहुत सुंदर तरीके से भावों और विषयों पर प्रकाश डाला। मैत्रयी कमीला ने का संचालन करते हुए अपनी हिंदी कविताओं का पाठ किया।
गोष्ठी में ‘रेणुका’, भारत भूषण शारदा, श्री प्रसाद, विश्वम्भर दयाल तिवारी, पारमिता षडंगी, प्रोमिला शुक्ला, अशोक गुप्ता, डॉ. चित्तरंजन कुंडू व कल्पना मिश्र आदि ने भी अपनी कविताएँ पढ़ी। कांता रॉय ने भी कविता पाठ कर चौंका दिया। मीना गुप्ता ने सबका आभार व्यक्त कर समापन किया।