हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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बिन यादों के पल न गुजरता, जीवन बीत गया,
यादों ने ही हर पल रोका, जीवन बीत गया।
तुमने यादें दी थीं, हमने यादें रख लीं,
यादों से ही अपने, दिल की बातें कर लीं।
क्या-क्या छूटा इनमें रहकर, जीवन बीत गया,
बिन यादों के… जीवन बीत गया।
मौसम आते जाते, दुखड़े दिल में लाते,
हर मौसम खिलते पर, हम इनसे मुरझाते।
आकर ले लो अपनी यादें, जीवन बीत गया,
बिन यादों के… जीवन बीत गया।
ये बातें अब शायद, मुश्किल हो बतलाना,
अब तो जीवन को भी, मंज़िल पर है जाना।
जितना लाए थे दुनिया में, वो तो बीत गया,
बिन यादों के… जीवन बीत गया॥
परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।
