सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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वे परम वीर सेनानी थे,
वे निडर और अभिमानी थे
वे दृढ़ प्रतिज्ञ तेजस्वी थे,
वे देशभक्त ओजस्वी थे।
नारा ‘जय हिंद’ का देकर वे,
बोले एकसाथ में सब आओ
तुम रक्त मुझे दो बदले में,
आज़ादी तुम मुझसे पाओ।
एक नई कली चटकी उस दिन,
आज़ाद हिंद की फ़ौज बनी
आज़ाद परिंदों की टोली,
एक नई दिशा की ओर चली।
सारे युवक हुंकार उठे,
मरने को सीना तान चुके
भाला-बरछी-तलवार उठे,
फिर कहाँ भला तूफ़ान रुके।
भय से काँपे अंग्रेज़ तभी,
सुन कर फ़ौलादी नारे को
शत-शत प्रणाम करते जाते,
चरणों में शीश चढ़ाने को।
आज उन्हीं का जन्म-दिवस है,
याद बहुत हम करते हैं।
देशभक्ति हो सबसे ऊपर,
यही प्रतिज्ञा करते हैं॥