बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…
जब करते हैं निष्काम कर्म तो
मुक्ति जल्दी पा जाते हैं,
सद्गति हो जाती है
पितरों की श्रेणी पाते हैं।
यदि कर्म नहीं करेंगें हम
मोक्ष द्वार कैसे खोलेंगे हम,
दो अंजुली जल पाते हम
श्रद्धा का तर्पण पाते हम।
याद पूर्वजों को श्रद्धा से करना
श्रद्धा की श्रेणी में आता है,
श्रद्धा का अन्न कठिन है निगलना
अवरुद्ध कंठ और मुँह नहीं चलता है।
हमारी संस्कृति में श्राद्ध है करना
श्रद्धा से तर्पण कर पिंडदान करना,
फिर समर्पण कर आशीर्वाद मांगना
पितृ पक्ष को श्रद्धा से मनाना।
श्राद्ध पक्ष में आशीर्वाद हैं मिलते
श्रद्धा व स्नेह से हर क्षण महकते,
जय-जय श्राद्ध पक्ष की करते
ना कभी काम हमारे बिगड़ते।
यह आस्था व श्रद्धा का पर्व है,
सत्य, सनातन संस्कृति है।
श्रद्धा, श्रद्धा से करने की उक्ति है,
पितरों को खुश करते सब हैं॥
