अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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तुमसे मैं हूँ, मुझसे सिंदूर बिंदिया तेरी,
याद में हर पल ही खनकती है चूड़ी तेरी।
बस मोती नहीं, मंगलसूत्र है मान तेरा-मेरा,
हाथों की दिलकश मेहंदी हे सुख सवेरा।
हम, तुमसे जुड़े, सौभाग्य है जीवन का,
तेरी मुस्कान पर सब अर्पित, तू मन-मंदिर जीवन का।
हर साँस में आस-विश्वास-अहसास है अपना,
हर सुख-दु:ख में साथ रहें, बस यही कामना।
करो सोलह श्रृंगार, पर बिन श्रृंगार भी सीरत तुम,
मेरी हर प्रार्थना संग, अमर सौभाग्य हम-तुम॥