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ये धरती माता है

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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है
धरा
अपनी
बड़ी न्यारी।
वसुन्धरा सी
नीर, वायु देती।
जीवन पालक है।

दो
मान
सम्मान
सब इसे।
हर पहर
आकर किरणें
उजाले रखतीं हैं।

ये
बोझ
सृष्टि का
सहती है।
युगों-युगों से
शांत ही रहती
ये माता हमारी है।

हैं
नदी
पर्वत,
सागर भी।
वन वृक्ष से
शीतल छाया दे,
जीवन रक्षक है।

दे
अन्न
अपनी
मिट्टी चीर।
हर जीवन
जिससे पलता।
ये धरती माता है॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।