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योग का कोई विकल्प नहीं

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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विश्व योग दिवस विशेष

‘तन-मन को जो स्वस्थ कर,दे चोखे आयाम।
योग प्रबल इक शक्ति है,देती नव परिणाम॥’
सामान्य भाव में योग का अर्थ है जुड़ना,यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है। आत्मा का परमात्मा से जुड़ना यहां अभीष्ट है। योग की पूर्णता इसी में है कि जीव भाव में पड़ा मनुष्य परमात्मा से जुड़कर अपने निज आत्मस्वरूप में स्थापित हो जाए।
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है,बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग,मस्‍तिष्‍क को ही ताकत पहुंचाता है,बल्कि हमारी आत्‍मा को भी शुद्ध करता है। आज बहुत से लोग मोटापे से परेशान हैं,उनके लिए योग बहुत ही फायदेमंद है। योग के फायदे से आज सब ज्ञात है,जिस वजह से योग विदेशों में भी प्रसिद्ध है।

हम यदि योग करते हैं,तो हम स्वस्थ व प्रसन्न रहते हैं,और हम तनाव से दूर हो जाते हैं। वैसे भी निरोगी काया दीर्घायु प्रदान करती है। व्यस्तता में भी हमें
योग का महत्व व उपयोगिता तथा व्यवहार में इसे अपनाना है।
योग का लक्ष्य स्वास्थ्य में सुधार से लेकर मोक्ष (आत्मा को परमेश्वर का अनुभव) प्राप्त करने तक है। जैन धर्म,अद्वैत वेदांत के मोनिस्ट संप्रदाय और शैव सम्रदाय के अन्तर में योग का लक्ष्य मोक्ष का रूप लेता है,जो सभी सांसारिक कष्ट एवं जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति प्राप्त करना है,उस क्षण में परम ब्रह्मण के साथ समरूपता का एक एहसास है। महाभारत में योग का लक्ष्य ब्रह्मा के दुनिया में प्रवेश के रूप में वर्णित किया गया है,ब्रह्म के रूप में,अथवा आत्मन को अनुभव करते हुए जो सभी वस्तुओं में व्याप्त है।
योग के बारे में यह कहते हैं कि यह सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम नहीं है,आध्यात्मिक तकनीक भी है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन लिखते हैं कि समाधि में निम्न तत्व शामिल हैं-वितर्क,विचार,आनंद और अस्मिता।
निश्चित रूप से योग जीवन को समग्रता देने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है,जिसका शारीरिक, मानसिक व व्यापक आध्यात्मिक महत्व है-
‘योग सँवारे ज़िन्दगी,देता है आलोक।
योग करे सुखकर जगत,करे दिव्य परलोक॥’

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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