सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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रंग बरसे (होली विशेष)…
आओ नी सजनी मंगल गाएं,
शुभ उत्सव हर्ष बेला मनाएं
रल-मिल पंछी शोर मचाए,
अबीर-गुलाल भर जश्न मनाएं
चहुं ओर ढोल मंजीर स्वर भाए,
आओ नी सजनी मंगल गाएं।
आज है सजके टोली आई,
पिचकारी, वर्ण थाल सजा लाई
बाल-गोपाल भरे गुब्बारे,
नर-नारी-वृद्ध बोल बधाई।
हर्षित उल्लसित हरते जन-मन,
आओ नी सजनी मंगल गाएं…।
होली आगाज़ ऋतु परिवर्तन, दिनकर आभा बढ़ती जाए
लें वर्ण, दिव्य सत्ता शोभा श्री
सुवास रज लुटा सर्वत्र साजे।
ज्योत्स्ना चंचल किरणे फ़ैल सजे आओ नी सजनी मंगल गाएं…।
होलिका हिरण्यकश्यप को निमित्त,
दुष्ट दुर्मति अनिष्ट कारक बना
भक्त वत्सल प्रहलाद विधि बना,
विपदा की धधकती ज्वाला।
अटूट भक्ति विजय प्रतीक बना,
आओ नी सजनी मंगल गाएं…।
बधाईयों का रंग बरसाएं,
सुगंधित मिष्ठान उल्लास सजाएं
अंशुमाली की सतरंगी छटा,
मोहक स्मृतियों संग हर्षाएं।
भेद भुला सौहार्द बढ़ाएं,
आओ नी सजनी मंगल गाएं…।
संगत बिठा संगीत थाप लगा,
उम्मीद उमंग मिठास जगा
अज्ञान मिटा मन-रोशन बनाएं,
प्रेम, सम्मान सद्भाव बढ़ाएं।
श्रद्धा विश्वास के फूल बरसा,
आओ नी सजनी मंगल गाएं…।
आज मन-मैल जलन मिटाएं,
होली संग दुर्वचन दुर्भाव जलाएं
रसायन त्यक्त प्रकृत रंग लगाएं,
रंग भरते, रंग बदलते स्नेही।
संग, रंग बरसाएं कंठ लगाएं,
आओ नी सजनी मंगल गाएं…॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।