कुल पृष्ठ दर्शन : 13

You are currently viewing रंजिशें मिटाने आ गया

रंजिशें मिटाने आ गया

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
**********************************

रंजिशें जो थी बरस में,
वह मिटाने आ गया…
होली का त्यौहार देखो,
रंग लेकर आ गया।

बड़ा ही विमोहक ये,
भावमय त्योहार है…
गृह, नगर और ग्राम बस,
उल्लास ही उल्लास है।

हर तरफ़ है रंग वर्षा,
ढोलकों की थाप है…
कुमकुमों की मार से,
सुरभित गोरी के गाल हैं।

आज दिन रोते हुए को,
भी हँसा देते हैं लोग…
भंग का फिर रंग चढ़ा,
मस्त हो जाते हैं लोग।

पर्व और त्योहार अपने,
यदि हम मनाएँगे नहीं…
आने वाली पीढ़ी को
संदेश दें पाएँगे नहीं।

फीका न पड़ने देना,
आनंदमय त्योहार को…।
प्यार से मिलकर गले,
उत्कर्ष दो व्यवहार को॥