प्रति,
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए),
नई दिल्ली, भारत सरकार
महोदय,
मैं अत्यंत खेद के साथ यह शिकायत दर्ज करता हूँ, कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत केंद्रीय जाँच एजेंसी) द्वारा केंद्र सरकार की राजभाषा नीति और संसद द्वारा पारित राजभाषा अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।
यह शिकायत संस्थागत स्तर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रति अपनाई जा रही उदासीनता को उजागर करने के लिए प्रस्तुत की जा रही है-
🔹राजभाषा अधिनियम १९६३ की धारा ३(३) का उल्लंघन-
राजभाषा अधिनियम १९६३ की धारा ३(३) यह अनिवार्य करती है कि केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए गए सभी साधारण आदेश, अधिसूचनाएँ, परिपत्र, निविदा सूचनाएँ, प्रेस विज्ञप्तियाँ और भर्ती सूचनाएँ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एकसाथ जारी किए जाएँ।
एनआईए द्वारा जारी किए गए सभी महत्वपूर्ण विधिक और प्रशासनिक दस्तावेज, जैसे प्रेस नोट, निविदाएँ (टेंडर) और भर्ती सूचनाएँ वेबसाइट (https://nia .gov.in/) पर केवल अंग्रेजी में अपलोड किए गए हैं। यह धारा ३(३) का सीधा उल्लंघन है।
एनआईए ने अपने २ अलग-अलग लोगो बना रखे हैं। एक अंग्रेजी में है जिसका प्रयोग हर स्थान पर किया जाता है। दूसरा हिन्दी में बनाया है, जिसका उपयोग कहीं भी नहीं किया जाता है। इसे केवल निरीक्षण के लिए बनाकर रखा गया है, जो नियम ११ का उल्लंघन है क्योंकि प्रतीक को द्विभाषी अर्थात एकसाथ दोनों भाषाओं में बनाना अनिवार्य है अलग-अलग नहीं।
🔹राजभाषा नियम १९७६ के विशिष्ट नियमों का व्यापक उल्लंघन-
राजभाषा नियमावली १९७६ में हिंदी के प्रयोग को अनिवार्य बनाने हेतु निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं, जिनका एनआईए द्वारा पूर्णतः उल्लंघन किया जा रहा है:-
◾राजभाषा नियमावली १९७६ का नियम:एनआईए द्वारा उल्लंघन की प्रकृति-
🔺नियम ५ (जनता के साथ पत्राचार)– हिंदी में प्राप्त पत्रों का उत्तर हिंदी में न देना, तथा जनता को भेजे जाने वाले पत्र हिंदी भाषी क्षेत्र में हिंदी या द्विभाषी रूप में न भेजना।
🔺नियम ७ (सेवा संबंधी आवेदन)– कर्मचारियों से सेवा संबंधी आवेदन, अभ्यावेदन या अपील हिंदी में स्वीकार न करना या उन पर हिंदी में निर्णय न देना।
🔺नियम १० (मैनुअल, संहिताएँ, फॉर्म)–
शासकीय प्रयोजनों हेतु प्रयोग में आने वाली सभी मैनुअल (नियम पुस्तिकाएँ), संहिताएँ और फॉर्म (प्रपत्र) हिंदी-अंग्रेजी में द्विभाषी रूप में न बनाना। एनआईए के प्रपत्र अंग्रेजी-प्रधान हैं।
🔺नियम ११ (नामपट्ट, लेखन सामग्री और डिगलॉट)–
यह नियम कार्यालय के नाम, नामपट्टों, सूचना पट्टों, लेटरहेड, लिफाफों, लोगो और विज्ञापनों को हिंदी और अंग्रेजी में द्विभाषी रूप में प्रदर्शित करने को अनिवार्य करता है, जिसमें हिंदी का पाठ अंग्रेजी के पाठ से ऊपर हो (डिगलॉट नियम)।
🔺नियम १२ (अनुपालन का उत्तरदायित्व)–
यह नियम केंद्रीय कार्यालय के प्रशासनिक प्रमुख (महानिदेशक) पर नियमावली के अनुपालन की सुनिश्चितता का उत्तरदायित्व डालता है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि एनआईए जानबूझकर राजभाषा नियमों की अवहेलना कर रहा है।
अतः, आपसे अनुरोध है, कि आप तत्काल इस शिकायत का संज्ञान लें, स्वयं एनआईए की आधिकारिक वेबसाइट और परिसरों का अवलोकन करें, और निम्नलिखित बिंदुओं पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करें:-
◾लोगो और नामपट्टों का संशोधन:नियम ११ के अनुसार, एनआईए के प्रतीक-चिह्न (लोगो), मुख्यालय व क्षेत्रीय कार्यालयों के सभी सूचनापट्टों, दिशासूचकों, रबर की मुहरों व नामपट्टों और लेखन सामग्री (स्टेशनरी), वाहनों पर लगे स्टीकरों, नाम, अधिकारियों की जर्सी, वर्दी आदि को हिंदी पाठ को अंग्रेजी से ऊपर रखते हुए तत्काल द्विभाषी (डिगलॉट) प्रारूप में बदला जाए जिसमें दोनों भाषाओं का प्रयोग एकसाथ किया गया हो, हिन्दी का लोगो अलग और अंग्रेजी का लोगो अलग बना लेना नियम का पालन नहीं है।
◾संपूर्ण द्विभाषीकरण:नियम १० और धारा ३(३) के अनुपालन में, सभी मैनुअल, फॉर्म, निविदाएँ, भर्ती सूचनाएँ और प्रेस विज्ञप्तियाँ हिंदी और अंग्रेजी में एकसाथ जारी की जाएँ।
◾उत्तरदायित्व निर्धारण: राजभाषा नियमों के निरंतर उल्लंघन के लिए उत्तरदायी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और इस शिकायत के निवारण हेतु की गई कार्रवाई से मुझे अवगत कराया जाए।
आपकी ओर से इस गंभीर मामले में शीघ्र हस्तक्षेप और समाधान की अपेक्षा है।
भवदीय,
अभिषेक कुमार
रायसेन (मध्यप्रदेश)
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)
