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‘राधे-राधे’ के जय घोष से ऊर्जान्वित रही काव्य संध्या

सोनीपत (हरियाणा)।

राधाष्टमी पर्व पर कल्पकथा परिवार की २१२वीं काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। प्रभु श्री राधा गोपीनाथ जी की कृपा से यह निरंतर ‘राधे-राधे’ जय घोष से ऊर्जान्वित होती रही।
संस्था परिवार की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति सिंह ने बताया कि २ चरण एवं ४ घंटों के भक्ति भाव को समर्पित इस आयोजन का शुभारंभ नागपुर से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे ने संगीतमय गुरु, गणेश व सरस्वती वंदना के साथ किया, जिसमें देश के विभिन्न स्थानों से जुड़े साहित्य सुधि विद्वान सृजनकारों ने भाग लिया। इटावा से जुड़े सैन्य साहित्यकार भगवानदास शर्मा ‘प्रशांत’ की अध्यक्षता एवं प्रयागराज से विद्वत सृजनकार डॉ. कुमारी शशि जायसवाल के मुख्यातिथ्य का कार्यक्रम निरंतर काव्य रचनाओं के साथ रोचक प्रश्नावली एवं राधे रानी के पावन प्रसंगों की आनंदमय चर्चा से सुवासित होता रहा। भास्कर सिंह ‘माणिक’ के मंच संचालन में पहली प्रस्तुति कल्पकथा संस्थापक राधा श्रीशर्मा द्वारा ‘श्रीराधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत’ स्वरबद्ध पाठ की हुई, जिससे वातावरण राधामय हो गया। दिल्ली से साहित्य शोधार्थी प्रीति भारती और कवियत्री माधव भट्ट ने काव्य रचना ‘अपनी किशोरी जी के चरण में दबाऊंगी’ सेवा भावना की प्रस्तुति दी। अध्यापक अमित पण्डा ने कृष्णप्रिया के चरणों में वंदना करते हुए ‘राधा तुमको पुकारे घनश्याम जी’ सुमधुर काव्य गायन से मन मोह लिया। मिलन उपाध्याय ने ‘ठकुरानी की ठुकराई है यहाँ, ठकुरानी को राज चले’ रचना सुनाकर सभी को झूमने पर विवश कर दिया।
श्रीमती मेघा अग्रवाल, डॉ. श्रीमती अंजू सेमवाल, विजय डांगे, प्रमोद पटले, अंजनी कुमार चतुर्वेदी, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, आत्मप्रकाश कुमार, शोभा प्रसाद, सुमन गर्ग एवं पवनेश मिश्र आदि ने भी काव्य पाठ किया। दर्शक दीर्घा से सभी ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। विशेष आकर्षण विद्वान साहित्यकार अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत द्वारा सदा सुकुमारी राधिका जी के प्राकट्य की चर्चा रही, जिसमें उन्होंने प्रामाणिक तथ्य से बताया कि १० लाख गायों के पालक, वृषभानुपुर बरसाना के राजा, मुखिया वृषभानु जी एवं उनकी धर्मपत्नी मैया कीर्ति को राधा रानी यज्ञ भूमि से प्राप्त हुई।
अध्यक्षीय उद्बोधन में ‘प्रशांत’ ने आयोजन को सनातन संस्कृति की गरिमा के अनुरूप बताते हुए कहा कि श्री किशोरी जू सरकार सकल ब्रह्माण्ड की दिव्य परा शक्ति हैं। उनकी कृपा से जगत संचालित है। अतिथि डॉ. जायसवाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम सामाजिक सांस्कृतिक चेतना के सूत्रधार होते हैं।
पवनेश मिश्र ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।