अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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दशहरा विशेष….
रावण था बलशाली, पर घमंड ने किया सत्यानाश,
झूठ-अन्याय के पथ पर, टिकता नहीं कभी विश्वास।
विद्वान बड़ा था दशानन, शास्त्रों का भी ज्ञानी,
पर अभिमान ने फेर दिया था बुद्धि पर पानी।
दस सिर थे, बल था अथाह, फिर भी वो हार गया,
क्योंकि छल-अन्याय से अब तक न कोई पार गया।
राम थे वनवासी, साधन कुछ भी न थे साथ,
सत्य, धैर्य और करुणा ही बने उनके मजबूत हाथ।
राम थे मर्यादा पुरुषोत्तम, सत्य का आधार लिया,
धैर्य, करुणा, त्याग से, जीत उन्होंने संसार लिया।
वनवास में भी दु:ख सहा, फिर भी न छोड़ी सच्ची राह,
सत्य की ज्वाला बन गई, हर अंधकार की गहरी चाह।
रावण के दुराचार से, सीता माता ने दु:ख पाया,
पर धर्म के पथ पर चलना, विजयश्री लाया।
बच्चों सुनो! सीख यही है, बुराई से सदा बचना,
झूठ, अहंकार, लालच से, जीवन में न उलझना।
सच बोलना, संगत अच्छी रख करना अच्छे काम,
यही शक्ति दिलाएगी, जीवन को नया मुकाम।
सच, करुणा, अनुशासन ही जीवन की सच्ची शान है,
राम जी के आदर्श अपनाओ, तभी प्रगतिवान हिंदुस्तान है॥