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राम की टोह

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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राम तुम सीमित होकर भी कितने असीमित हो,
मर्यादित होकर भी कितने अमर्यादित
कितने अथाह, अथांग और अपरिमित हो,
कभी सगुण तो कभी निर्गुण प्रतीत होते
मन की अवस्थाओं के अनुरूप
मन में जैसा भी आता तुम्हारा रूप
अनंत आकाश से धरती तक फैले,
चराचर में संजीवन चेतना के घनैले
सकल ब्रम्हांड में संव्याप्त रूपहले
चराचर के प्रणेता, हृद्यो की संहिता
अणु-रेणू में व्याप्त, गुणों की विविधता
सूक्ष्म से सूक्ष्मतम, विराट से विराटत
दृश्य से दृश्यतम, अदृश्य से अदृश्यतम
निर्गुण, निराकार, निर्लिप्त, अनुशेष
नित कितने-कितने बदलते हो भेष
बहुगुणी, बहुरूपिया, बहुविभ्रमा, बहुमिता
राम तुम आखिर किस-किसके हो अनुप्रीता
सृष्टि के स्वामी, जीवों के अंतर्यामी
हर तीरथ के धामी, प्राणों के अनुगामी
मैं बस आपकी कल्पना करता रह जाता हूँ राम,
जब भी टोह लेता, डूबता ही डूबता जाता हूँ राम
किसी दिन किसी पल तुम्हें पकड़ना चाहता हूँ राम
चाहे जो भी हो रूप तुम्हारा,जो भी हो स्वरूप तुम्हारा
पर यहाँ भारतवर्ष में तुम चैत्र नवमी के सुमंगल दिन
मानव देह में तुम प्रकटे, कितना बड़ा धागा है यह
तुम्हें पकड़ने का कितना अनुपम, नायाब तरीका है यह
राम तुम चाहे जितने चपल होंगे। पर भारत में सगुनिया पकड़ में हो,
मेरे भारत के लिए इतना बहुत है…
मेरे राम॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।