सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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राम राम सीताराम मनवा मेरे रटना,
मेरे प्रभु सब संकट हरते ऐसी आशा रखना।
रखना पथ तुम सत्य डगर पर,
वहीं राम जी बसते
राम राम ही कह कर मानव,
भव सागर से तपते।
राम जी अपने,
प्रेम धार में बहना
पुष्प एक कर उन्हें समर्पित,
चरणों में ही रहना।
मन भटके यदि इधर-उधर,
माधव राघव से मिलना
अन्तर्मन में देख उन्हें बस,
नित-नित सुमिरन करना।
झूठ, कपट और भेदभाव से,
राघव रखते दूरी
सेवा और उपकार करो,
करते वे इच्छा पूरी।
राम ही अंदर राम ही बाहर,
साँसों में राम ही रमते।
मनवा कर पहचान राम की,
भावों में वे बसते॥