गाजियाबाद (उप्र)।
पेड़ों की छांव तले रचना पाठ की ११७ वीं साहित्यिक गोष्ठी विशिष्ट प्रस्तुतियों के साथ हुई। इसमें समकालीन कविता पाठ पर श्रेष्ठ रचनाकारों द्वारा गीत, ग़ज़ल और कविताओं का सरस पाठ किया गया। इस गोष्ठी में भाईचारे पर प्रस्तुत रचनाएँ सराही गई।
आभासी पटल पर आयोजित
इस गोष्ठी में काव्य पाठ हेतु वरिष्ठ साहित्यकार बी.के वर्मा शैदी, गजलकार ख़ुमार देहल्वी व कवयित्री सत्यवती मौर्य आदि की सहभागिता रही। नवगीतकार जगदीश पंकज की अध्यक्षता में गोष्ठी का संचालन संयोजन अवधेश सिंह बंधुवर ने किया।
आरंभ में शायर पंडित प्रेम बरेलवी ने वर्तमान समय की मुश्किलों पर ग़ज़ल पढ़ी तो बी.के वर्मा शैदी ने कहा- “यादों की बस्ती में जाना अच्छा लगता है, कुछ बातें फिर-फिर दोहराना अच्छा लगता है।” अमन की अपील करते ग़ज़लकार ख़ुमार देहल्वी ने “मार मुझको न तू ही मर भाई, भाईचारे की बात कर भाई।” पढ़ी, तो गीतकार-शायर अनिमेष शर्मा आतिश ने “टूटता हो स्वप्न प्यारा या विफल होता प्रयास, कुल जगत में कौन ऐसा जो न होता हो उदास ” सुनाई। जगदीश पंकज ने ‘फिर मंथन चल रहा’ शीर्षक से गीत पढ़ा। वरिष्ठ कवि अवधेश सिंह ने ‘भेड़िया’ शीर्षक से समाज के बीच निवास कर रहे अमन विरोधी वर्ग को उजागर किया। ‘युद्ध क्षेत्र में बच्चे’ शीर्षक से बहुसंख्यक नवजात शिशुओं पर एक भावपूर्ण मार्मिक कविता भी सुनाई।
गोष्ठी में कवयित्री सत्यवती मौर्य, पल्लवी मिश्र, शशि किरण आदि ने भी कविताएं पढ़ीं । देर शाम तक चली गोष्ठी में लगातार टिप्पणियों और हौसला अफजाई का क्रम बना रहा, जिसे कविता प्रेमियों ने सुना, देखा और वाह-वाही हुई।