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रिमझिम फुहार

जी.एल. जैन
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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आई सावन की, रिमझिम फुहार,
प्रेमी-प्रेमिका का, दिल है बेकरार
मिले शुद्ध वायु, दूर बीमारी हजार,
बहे त्रिवेणी, गाँव-शहर घर के द्वार।
लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार…

आई सावन की, रिमझिम फुहार,
समधी-समधन का दिल है बेकरार
मिले रोगों का, आयुर्वेद उपचार,
बहे त्रिवेणी गाँव-शहर घर के द्वार।
लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार…

आई सावन की, रिमझिम फुहार,
साली-जीजा का दिल है बेकरार
मिले पक्षियों को दाना भरमार,
बहे त्रिवेणी गाँव-शहर घर के द्वार।
लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार…

आई सावन की, रिमझिम फुहार,
प्रकृति का कर्जा, दें अब उतार।
शास्त्रों में, ऋषि-मुनियों का आधार,
बहे त्रिवेणी, गाँव-शहर घर के द्वार।
लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार…॥