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‘रिश्ता’ तो होता है…

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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किसी से दर्द का रिश्ता होता है,
किसी से प्यार का रिश्ता होता है
फर्क क्या है दोनों में,
क्या है अन्तर
‘रिश्ता’ तो होता है।

किसी को याद करते हैं, जखम जैसे,
किसी को याद करते हैं, दवा जैसे
फर्क क्या है, कुछ तो बोलो,
बतलाओ क्या है अन्तर…
याद तो करते हैं दोनों को ही।

कोई दिल में रहता है, दुश्मन की तरह,
कोई दिल में रहता है, दोस्त की तरह
कुछ भी फरक नहीं है इसमें,
ना ही है कोई अन्तर
दिल में तो रहते हैं दोनों ही।

याद करते हैं, सोचते हैं सबको,
एक साँस से… दूसरी साँस तक
और फिर अन्तिम साँस तक,
तानाबाना बुनते रहते हैं, रिश्तों के
सभी एक-दूसरे के पूरक,
इसके बिना वो नहीं, उसके बिना ये नहीं।

सब एक ही माला के मोती,
कोई सुंदर, कोई बदसूरत
कोई कठोर, कोई नरम,
कोई कड़वा, कोई मधुर
फर्क क्या है ?
इसमें क्या है कुछ अन्तर,
‘रिश्ता’ तो सबसे है…
यादें तो सबसे जुड़ी हैं,
कुछ भयानक, कुछ सुंदर।
इसके बिना वो नहीं,
उसके बिना ये नहीं॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”