दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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मित्रता-ज़िंदगी…
सबसे निश्छल सबसे न्यारा,
दोस्ती का रिश्ता प्यारा।
रिमझिम फुहार-सा,
बागों में बयार-सा।
तपती धूप में छाँव-सा,
ठंड में गुनगुनी धूप-सा।
जीवन के मधुर गीत-सा,
साज में संगीत-सा।
सुबह की नई आस-सा,
नींद में मीठे ख़्वाब-सा।
अंधेरी रात में जलते दीप-सा,
बारिश की पहली फुहार-सा।
भाव भरी कविताओं-सा,
दिल के सुकून-सा॥