डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?…
दिन कितने सुहाने थे
वो बचपन की छुट्टियाँ,
नानी, दादी, मौसी, मामा
के घर मज़े से कटते थे।
घर की शादी में भी
ढेर सारे रिश्तेदार,
पहले से ही आ जाया करते थे
काम में हाथ बंटाने के लिए।
साथ-साथ धूम मचाया करते थे
बच्चे, युवा, बुजुर्ग एकसाथ,
गपशप के दौरान चाय-पकौड़ी
का लुत्फ उठाया करते थे।
एक ही दालान या छत पर नीचे
बिस्तर बिछाकर सो जाया करते थे,
एक नल के नीचे मज़े से नहाया करते थे
आँगन में बैठकर बड़ी-पापड़ के साथ,
सब धूप सेक लिया करते थे।
कहाँ गये वो ‘मनोहर युग’ ?
बन कर रह गई हैं सिर्फ सुखद यादें,
बदल गई हैं दुनिया, बदले हैं लोग
रूपांतरित हो गए हैं रिश्ते।
अब रिश्तेदार आने का नाम
सुनकर हम ठहर जाते हैं,
कितने दिन रुकेंगे ? सोचकर
मन ही मन हिसाब लगाते हैं।
सबको अलग-अलग कमरे चाहिए
ज्यादा लोग हो तो खर्चे बढ़ेंगे,
उनको घुमाने ले जाने के लिए
हमें फ़िज़ूल की छुट्टी लेनी पड़ेगी।
कहाँ खो गया रिश्तों का वो
गहरा रिश्ता जब भाई बिना बोले,
बहन के घर आ जाता था
या माता-पिता बेटे बेटी के घर।
रिश्तों की मधुरता अब दुर्लभ है
अब हर कोई स्वार्थी हो गया है,
जब मतलब हो तभी रिश्ते याद आते हैं,
मंगल-कुशल पूछने रिश्तेदारों के पास समय नहीं है।
कहाँ खो गया रिश्तों का प्रेम ?
रिश्तों की मधुरता और प्रतिबद्धता,
हर किसी को नहीं आता रिश्ता निभाना,
पर जिसको आ जाए वो प्रेम से निभाए॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।