रूपेश कुमार
सिवान(बिहार)
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प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे में,
रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे में।
दिलों का मिलना दिवाली का ये पैगाम,
दूरियाँ दिल की मिटाओ इस अंधेरे में॥
अजनबी है भटक न ज़ाए कहीं मंजिल,
रास्ता उसको सुझाओ इस अंधेरे में।
ज़िन्दगी का सफर है मुश्किल इसलिए,
कोई हमसफर हमदम बनाओ इस अंधेरे में॥
हाथ को न हाथ सूझे आज का ये दौर,
रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे में।
अंधविश्वासों के इस मन्दिर-मजारों में,
सत्य की शमा ज़लाओ इस अंधेरे में।
रोशनी बन जगमगाओ इस अंधेरे में…॥