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लक्ष्मण रेखा पार करता मानव

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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झूठ का समन्दर अपार,
लालच की गगरी फोड़कर
निकल रहा मतलबी बन जमाना,
क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव।

अपनों को पीड़ा पहुंचा रहे,
माँ-बाप को वृध्दाश्रम में भेजकर
रिश्तों का आज कोई मोल नहीं रहा ?
क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव।

आज ऐसे दृश्य बहुत ज्यादा हैं,
कहीं बीमारी से त्रस्त बेटा
बिस्तर पर लेटा,
और पिता उसके लिए निशब्द क्यों है
आज संवेदनाएं मौन है,
क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव।

यहाँ दूरियों का बढ़ता हुआ परिदृश्य,
मानवीय मूल्यों का घटता कलेवर।
देखकर कुछ लोग हैरान परेशान हैं,
क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव है॥