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लक्ष्मी

पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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डॉ. गार्गी और डॉ. मुक्ति ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची तो मंच से मेयर मिसेज हर्षिता की दर्प भरी हुंकार “गर्भ में पल रही बेटी की रक्षा करना हर महिला का धर्म है” सुन कर हॉल तालियों से गूंज उठा था।
“आज आप सब संकल्प करिए कि अपने गर्भ में पल रही बेटी की किसी के भी दबाव में आकर कभी भी हत्या नहीं करेंगीं…।” सभी ने उत्साहित होकर संकल्प किया तो डॉ. गार्गी ने भी अपना हाथ ऊपर करके संकल्प किया। उनकी ओर देख कर डॉ. मुक्ति के चेहरे पर व्यंग्यभरी मुस्कान थी।
उसी शाम नर्सिंग होम से इमरजेंसी कॉल पर वह जब वहाँ पहुंची तो मिसेज हर्षिता को देख चौंक पड़ीं…।
“डॉ. प्लीज, आप मुझे इस मुसीबत से छुटकारा दिलवा दीजिए।”
“क्या प्रॉब्लम है ?”
वह फुसफुसाकर रूंधे स्वर में बोलीं, “कल पति ने मेरा अल्ट्रासाउंड करवाया तो गर्भ में बेटी पता चली… मेरे पास २ बेटी पहले ही है, एक बेटा तो पितरों के मोक्ष देने के लिए चाहिए ही… मैं आपको मुँह मांगी फीस दूंगीं…। प्लीज, मुझे इस गर्भ से मुक्ति दिला दीजिए…।” उनकी आँखों से आँसू टपक पड़े थे।
“आप दोपहर में तो बड़ी-बड़ी बातें कर रहीं थीं…।”
“क्या करें, नेता की यह मजबूरी है…।”
तब डॉ. गार्गी ने उन्हें डांट कर नर्सिंग होम से जाने को बोल दिया था और वह विक्षोभ के कारण अपने घर के लॉन में टहल रहीं थीं। तभी उनका मोबाइल बज उठा था…।
उधर, डॉ. मुक्ति चहकती हुई आवाज में बोलीं, “आज मजा आ गया… बड़ी आदर्शवादी बनती है न… आज मिसेज हर्षिता से मुझे ५ हजार के काम के पूरे १ लाख मिल गए।”

आज तुमने घर के दरवाजे पर आई लक्ष्मी को खुद से ठोकर मार दी।