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लक्ष्य प्राप्ति हेतु आनन्दपूर्ण मार्ग का निर्माण करें

मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
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आज का इंसान ना जाने क्या प्राप्त करने के लिए नासमझी भरी अनियंत्रित गति से दौड़ रहा है। सम्भवतः कुछ हासिल करने से अधिक वह खोने का यत्न कर रहा है। उसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समझाया भी जा रहा है कि, इस दौड़ में प्राप्ति से अधिक हानि होगी किन्तु उन्मादित मन इसे सुना अनसुना कर देता है और इस कटु सत्य से अनभिज्ञ होकर कि जिसे हासिल करने के लिए वह दौड़े जा रहा है उसकी बहुत बड़ी कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है।
फिर भी इस अंधी दौड़ में कोई तो ऐसा होगा, जो अपने विवेक की पुकार सुनकर रुक जाए और उसकी अपनी ही अंतर्चेतना द्वारा पूछे गए प्रश्न समझ ले कि जो उपलब्धि वह हासिल करने के लिए दौड़ रहा है, क्या उसके बदले में वह अपने सम्बन्धों की प्रगाढ़ता भरी मधुरता खोने के लिए तैयार है ? क्या इस उपलब्धि के साथ उसे अभिशाप के रूप में मिलने वाला अनिंद्रा रोग, कमजोर पाचन तंत्र, उच्च रक्तचाप, मधुमेह भी हृदय से स्वीकार है ? क्या उपलब्धि हासिल करने में असफल होने की स्थिति में भयंकर अवसाद में डुबाने और जीवघात के प्रबल विचार उत्पन्न कराने वाली मनोदशा उसे प्रिय लगेगी ?
इसलिए अपने सद्विवेक की पुकार सुनिए और स्वयं को समझाइए कि अशांत होकर अंधाधुंध दौड़ने से बेहतर है, मानसिक सन्तुलन कायम रखकर शालीनता और शांतिपूर्वक ढंग से ही लक्ष्य प्राप्ति हेतु उद्यम किया जाए। हो सकता है कि निर्धारित समय सीमा में लक्ष्य हासिल ना हो, किन्तु आप अनेक प्रकार की मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक समस्याओं और वेदनाओं से मुक्त रहेंगे।
इसलिए, सफलता की राह पर पहला कदम रखने से पहले यह पाठ पक्का कर लें कि मैं अन्य लोगों की तरह मानसिक सन्तुलन की परवाह किए बिना विवेकशून्य होकर लक्ष्य के पीछे पागलों की दौड़ने के बजाय सशक्त मनोबल और दृढ़ निश्चय के साथ अपना एक एक पाँव अंगद समान आगे बढ़ाऊंगा।
कुछ लोग प्रतिस्पर्धा को ही जीवन की परिभाषा समझ लेते हैं और दूसरों को देखकर असामान्य रूप से बेलगाम दौड़ते ही रहते हैं। चूंकि, लक्ष्य प्राप्ति के लिए उनके पास कोई व्यवस्थित या निर्धारित योजना नहीं होती, इसलिए अपनी बेहिसाब आन्तरिक ऊर्जा खर्च करने के बावजूद मंजिल से कोसों दूर रहते हैं। कई बार दूसरों की कार्यविधि से अपनी कार्यविधि की तुलना के फलस्वरूप ऐसे लोग मन में असफलता का भय पाल बैठते हैं और स्वयं को अवसादयुक्त-नकारात्मक विचारों के हथौड़े मार मारकर अपना ही मनोबल क्षतिग्रस्त कर लेते हैं।
इसलिए, स्वयं को यह स्पष्ट रूप से समझाएं कि किसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए आप एक प्रतिस्पर्धी अवश्य हैं लेकिन किसी और से अपनी तुलना करने वाले नहीं। अपनी तुलना केवल स्वयं से ही करें, किसी और से नहीं। किसी की सफलता को देखकर मन में असफल होने की आशंका उत्पन्न करने के बजाए सफल व्यक्ति द्वारा सफलता के लिए किए गए संघर्ष की दास्तान को समझकर उससे अभिप्रेरित होने की भावना मन में जागृत करके योजनाबद्ध ढंग से लक्ष्य प्राप्ति की और आगे बढ़ना चाहिए।
सफलता की कोई एक चोटी नहीं होती कि, जिस पर पहुंचकर हम थम जाएं, बल्कि सफलता कभी समाप्त ना होने वाली अनन्त पायदानों की वो सीढ़ी है जिसके एक के बाद अगले पायदान पर चढ़ने जाना ही हमारे जीवन्त होने की पहचान है।
याद रहे कि, छोटी-छोटी सफलताओं का अनुभव संजोए बिना कोई बड़ा लक्ष्य निर्धारित करने पर अनुभव का अभाव आपको थकाकर उस लक्ष्य के प्रति आपकी रुचि लगभग शून्य कर देगा। इसलिए बड़ी सफलताओं की लम्बी उबाऊ राह को सुखद और सुगम बनाने के लिए एक के बाद एक छोटी-छोटी अनेक सफलताओं के अनुभव का खजाना जमा करना चाहिए, जो निकट भविष्य में बड़ी-बड़ी सफलताओं का पथ प्रदर्शक बनेगा।
कई बार अपने लक्ष्य अथवा कार्य के प्रति जुनूनी मानसिकता कार्यस्थल पर हमारे जीवन का अधिकतम समय खर्च करवा देती है। फलस्वरूप अपने परिवार के सदस्यों के साथ भावनात्मक सम्बन्ध बिखरने लगता है, अपने ही घर में अजनबीपन का एहसास होने लगता है और अनेक मतभेद उभरने लगते हैं। अलगावपन के छोटे-छोटे मानसिक आघातों के कारण परिवार का हर सदस्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। इसलिए, अपने लक्ष्य की और बढ़ने के साथ साथ समानान्तर रूप से अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां बड़े ही प्यार से निभाएं और सामाजिक मंचों पर भी सबको अपनी सुरुचिपूर्ण उपस्थिति महसूस कराएं। तभी आपका लक्ष्य मार्ग अपनों की शुभकामनाओं रूपी पुष्पों से आनन्दपूर्ण और सुगम बन पाएगा।

परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’

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