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लुभा गया कविता उत्सव ‘पानी का दरख़्त’

इंदौर (मप्र)।

लब्ध प्रतिष्ठित कवि चंद्रकांत देवताले की स्मृति में आयोजित कविता-वायलिन वादन और चित्रकला का संगम ‘पानी का दरख़्त’ शहर के संस्कृति प्रेमियों को सुखद आश्चर्य देने वाला तो साबित हुआ ही। पत्रकार सुश्री जयश्री पिंगले ने श्री देवताले के विषय में अदभुत बातें बेहद रोचक अंदाज़ से यादकर कविता उत्सव की भावभूमि बना दी।
श्री देवताले की बिटिया एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वायलिन वादिका सुश्री अनुप्रिया देवताले की संकल्पना अनुसार अनेक कला माध्यमों से एकसाथ श्री देवताले की कविताओं को साकार
करते हुए श्री देवताले की विविधरंगी रचनाओं को सुश्री अनुप्रिया के मनमोहक वायलिन वादन के साथ जब संस्कृतिकर्मी आलोक वाजपेयी ने पढ़ा तो एक-एक शब्द जीवंत हो उठा।
कविताओं के मंच से साकार करते सुरों और शब्दों के बीच ब्रश और रंगों से कैनवास पर उन्हीं रचनाओं को सीरज सक्सेना ने साकार कर दिया।
‘पानी का दरख़्त’ में कविताओं की विषय वस्तु के हिसाब से ३ भागों में विभक्त होने के बाद भी बिना किसी अवरोध के दर्शक इस तरह बंध गए कि उन्हें समय का आभास ही नहीं रहा।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में वरिष्ठ कवि सर्वश्री सरोज कुमार, नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, पद्मश्री भालू मोंढे, जयंत भिसे एवं सत्यनारायण व्यास ने कलाकारों के साथ दीप प्रज्वलन किया। आयोजक संस्था कवि चंद्रकांत देवताले साहित्य – संगीत संस्थान की ओर से सुश्री देवताले एवं सहयोगी संस्थाओं की ओर से श्री व्यास ने अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन में श्री देवताले को चाहने वाले सभी संगठनों के साहित्यकार एवं कलाकार उपस्थित रहे। आभार प्रदर्शन सुश्री देवताले ने किया।