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वधु वसुधा पुलकित एक ओर

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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वधु वसुधा पुलकित एक ओर,
मारू बाजे का उधर शोर।

मधुकर देता है इधर तान,
तानी वीरों ने रण में कृपाण।

माथे पर चमक रही लाली,
कानों में थी सुंदर बाली।

पीली पीली सरसों फूली,
वीर-वधू कंत से यह बोली।

कर काट रक्त मैं लेती हूँ,
तुम सजो तिलक मैं करती हूँ।

देखो मैं खेल रही होली,
देखी क्या तुमने ऐसी होली ?

मत तनिक सोच तुम करना प्रिय,
रण में पीछे मत हटना प्रिय।

हो निडर युद्ध करते रहना,
बस आगे को बढ़ते रहना।

मेरी चिंता तुम मत करना,
इस रानी की लाज रखना॥