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वन-उपवन लहराए

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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सृष्टि रचयिता हो मस्त मगन,
छटा बिखेर सर्वत्र लग्न
कण-कण विराट स्वरूप,
सृजन करता ध्यान मग्न।

ऋतु सर्दी में सहमी धरा,
लोहित तृण से झांकी
पतझड़ में निज पत्र खोए,
किसलय संग तरु खोए।

वसुंधरा सर्व-सम्पन्न होकर
वन-उपवन लहराए।
अद्भुत सा स्वर नाद निकल,
धरा ओ अम्बर चूमे।

फूल-पत्र संग तरु झूले,
बुरांस बसंती फूले
फुलकारी ओढ़नी ओढ़
नववधू भू सजीले।

शिवरात्रि होली जश्न मना,
फुलेरा दूज आया।
खुशियों का आलम छाया,
अबीर-गुलाब भाया।

दिव्य सुवासित सुगंध नव-नभ
संचार घर-भर आए।
मन उड़ता पंछी हो,
कृष्ण-कृष्ण रटता जाए॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।