इंदौर (मप्र)।
वर्तमान समय की मांग है कि अधिक से अधिक लघु कथाओं का सृजन हो। समय की प्रतिबद्धता के अनुरूप लघुकथा अधिक लोकप्रिय मानी जा रही है।
श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के सभागृह में क्षितिज साहित्य संस्था द्वारा अखिल भारतीय लघु कथा सम्मेलन २०२५ के आयोजन में ‘वीणा’ के संपादक राकेश शर्मा ने अतिथि के नाते यह बात कही। आपने लघुकथा के इतिहास और ‘वीणा’ के साथ उसके जुड़ाव पर विस्तृत बात कही। वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय की अध्यक्षता में इस अवसर पर डॉ. मनीष दवे की ९९ शिक्षाप्रद लघुकथाओं के संग्रह ‘दृष्टिकोण’ का विमोचन किया गया।
संस्था के अध्यक्ष सतीश राठी ने विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत किया। २ वर्ष की कड़ी मेहनत से तैयार ‘दृष्टिकोण’ के बारे में लेखक ने बताया कि दैनिक दिनचर्या में अपने इर्द-गिर्द घूमती छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से मूल्यों की शिक्षा देते हुए लघुकथा के बोनसाई वृक्ष को एक साकार रूप देने का प्रयास अवश्य ही पाठकों को अपेक्षित फल और जीने की राह प्रदान करेगा। इस अवसर पर जाने-माने वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ. ध्रुव कुमार, डॉ. योगेंद्र नाथ शुक्ल और विजय सिंह को सम्मानित किया गया। कृति ‘दृष्टिकोण’ को भी क्षितिज कीर्ति सम्मान २०२५ से नवाजा गया। श्री उपाध्याय ने कहा कि युगीन सरोकारों से लघुकथा को जोड़ने की आवश्यकता है।
संचालन रश्मि चौधरी ने किया। सचिव दीपक गिरकर ने आभार माना।
