संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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वर्तमान रेखा विभाजन मात्र
भूत,भविष्य साधन जान,
वर्तमान करे भोग कल्पना
मन को अपने बाधक मान।
राह स्मृति भूतकाल की
अतीत प्रक्षेपित भविष्य ज्ञान,
वर्तमान से मन की दूरी
शून्य-सा उस पल को जान।
समय,श्वाँस मात्र वर्तमान है
नाम लेते ही भूत तू जान,
पक्ष न ठहरें वर्तमान का
छूते ही पक्ष भूत को ध्यान।
चिंता,मनन,चिंतन सब दूर है
सबमें मन का भविष्य ध्यान,
मन वंचित है वर्तमान से
भूत,भविष्य इसका ज्ञान।
वर्तमान पल अनछुआ-सा,
भूत,भविष्य विभाजन जान।
केन्द्र बिन्दु मात्र वर्तमान है,
मन,भूत भविष्य साधक मान॥