कुल पृष्ठ दर्शन : 33

वह तेजस्वी महाराणा प्रताप

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
*********************************

नस-नस में जिनके देशभक्ति का
सागर-सा रक्त उफनता था,
भींची हुई मुट्ठियों में जिनके
आक्रोश मुगलों पर उतरता था।
वह तेजस्वी चित्तौड़ के राजा,
वीर राणा प्रताप कहलाते थे।

धन्य हुई धरा जिनके जन्म पर
फर्ज माटी का निभाया था,
मुगलों की विराट सेना से,
राणा ने पेंच लड़ाया था।
मुट्ठीभर सैनिकों के सहारे,
हल्दीघाटी में युद्ध कराया था।

हाहाकार मचा, अकबर को
घुटनों के बल झुकवाया था,
कृतार्थ हुई राजस्थान की मिट्टी
जिसने वीरों को जन्मा है।
आन-बान की खातिर अपनी
जिन्होंने जान गंवाई है।

उनका गुण स्तवन कर वीरों ने
जीवन को धन्य बनाया है,
प्रेम-देश नहीं जिसके दिल में
वह केवल माटी का पुतला है।
जीवन उसका जीवन ही नहीं,
जो दुश्मन का नमक चबाता है।

मातृभूमि की रक्षा खातिर
आओ, अब यह प्रण करें,
चाहे जो भी करना पड़े
पर मिट्टी से नहीं दगा करें।
जीएं-मरे चाहें किसी जगह पर,
माटी का कर्ज अदा करें॥