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वागीश्वरी सवैया विधान

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचनाशिल्प:७ यगण + लघु + गुरु =२३ वर्ण, १२, ११ वर्णों पर यति अनिवार्य है। १२२ १२२ १२२ १२२, १२२ १२२ १२२ १२..

लड़े डोडिया धीर भारी लड़ाके,
करे दाँत खट्टे महावीर थे।
सिरों को उड़ाए घने ही उन्होंने,
चला खंग भाला महाधीर थे।
मरे वे नहीं शत्रु शाही भगाए,
लगे गात में घाव थे तीर थे।
गिराए उसे भी छिपे शाह ने ही,
चला गोलियाँ घात बे पीर थे।

छिपे अस्त्र आग्नेय बंदूक गोली,
बने त्याज्य मेवाड़ में ये रहे।
इन्हें तुर्क के अस्त्र राणा बताते,
रहे तोप से दूर ऐसे कहे।
तभी खानवा युद्ध मेवाड़ हारा,
जयी बाबरी सैन्य साँगा सहे।
चलें काल जैसा रहे जो निभाए,
वही जीतता युद्ध ‘मानी’ बहे।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।