कवि संगम त्रिपाठी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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विकास के कुछ पायदानों को अब जोड़ा जाना है… अर्थात हमारे देश की विकास की दिशा में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अभी हालिया वक्तव्य में कहा गया है, कि हम विकसित भारत का लक्ष्य २०५० तक पूरा कर लेंगे, अगर इसी तरह काम चलता रहा तो…। इसमें हमें कोई संदेह नहीं है, पर वक्ता को है…, क्योंकि उन्हें देश के आंतरिक सुस्तीकरण के विषय में सच पता है। मान लो २०२५ से ५० के बीच विकसित भारत के सफर में हम सफल हो भी जाते हैं, तो वर्तमान स्थिति में कितने लोग इस स्वप्न को देख पाएंगे…! ये भी सोचना जरूरी है, क्योंकि हम बेरोजगारी के मामले में नित नई ऊँचाइयों को छू रहे… भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है…। ऐसे में हम चिंतन करें तो… चापलूसी में जरूर सारी दुनिया में सबसे आगे निकल गए हैं और हमारे इस कीर्तिमान को पार कर पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव है।