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विदेशी सभ्यताएं क्या जाने ?

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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करवाचौथ की पावन बेला में, भव्य भारत देश की शोभा है
सजना की दीर्घायु का, व्रत रखती सजनी का जो योद्धा है।

निर्जल दिनभर रहती नारी, चन्द्र दर्शन पर ही जल पीती है
सचमुच इस पर्व से लगता है, वह पति की खातिर जीती है।

वह सालभर का लगाई-झगड़ा, बदलता आज की पूजा में
मेरी जिन्दगी में बस तुम ही हो, सजना और कोई न दूजा है।

वह छलनी से चाँद को देखना, पति प्रेम का घूंट भर पानी है।
चेहरे से पत्नी के झलकता कि,
वह तो पति की दीवानी है।

अरे जन्मना-मरना, लड़ना- झगड़ना, जीवन की कहानी है
करवाचौथ की रसम से आती, पति-पत्नी में फिर जवानी है।

हार-श्रृंगार से सजती सजनी, सजना भी भेंट कुछ लता है।
विदेशी सभ्यताएं क्या जाने,भारत दाम्पत्य कैसे निभाता है ?