नई दिल्ली।
हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार एवं पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र का निधन हो गया है। वे बीमार चल रहे थे और द्वारका स्थित अपने बेटे के घर पर थे। निधन पर अंर्क संस्थाओं और लेखकों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
शनिवार को मंगलापुरी, पालम स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। गोरखपुर के डुमरी में १५ अगस्त १९२४ को जन्मे रामदरश मिश्र ने बनारस हिंदू विवि से उच्च शिक्षा प्राप्त की, बाद में दिल्ली विवि में अध्यापन किया। लंबा साहित्यिक जीवन जीने वाले प्रो. मिश्र ने कविता, कहानी, उपन्यास, यात्रा वृत्तांत, आत्मकथा, संस्मरण और आलोचना सहित सभी विधाओं में लेखन किया।
आप केवल एक सशक्त कवि ही नहीं, बल्कि गहन चिंतक, कुशल कथाकार और समर्पित शिक्षक भी थे। साहित्य की हर विधा में उन्होंने अपनी रचनात्मकता की अमिट छाप छोड़ी।
◾महत्वपूर्ण कृतियाँ-
•काव्य- पथ के गीत, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, बाजार को निकले हैं लोग
•उपन्यास-पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर
•कहानी संग्रह-खाली घर, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन
•आत्मकथा-सहचर है समय
डायरी: आते-जाते दिन, विश्वास जिंदा है
