कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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सुन लो पुकार प्रभु,
मैं आई तेरे द्वार
विनती हमारी प्रभु,
कर लो स्वीकार।
सुन लो…
तुम ही तो हो प्रभु,
मेरा जीवन आधार
मेरी नैया भवसागर डोले,
कर दो बेड़ा पार
सुन लो…
हम तो हैं दासी प्रभु,
तेरे चरणन की
तुम तो हो दाता प्रभु,
हम भक्तन के।
सुन लो…
दुःख निवारक प्रभु,
हे करुणानिधान
करुणा बरसा दो प्रभु,
हम हैं बालक नादान।
सुन लो…
अंजलि जोड़े प्रभु,
मैं आई तेरे द्वार
सुन लो हे नाथ प्रभु,
मेरी करुण पुकार।
सुन लो…
करुण पुकार मेरी,
प्रभु सुन लो एक बार
दे दो हे मुक्तिदाता,
अपना स्नेह अपार।
सुन लो…॥