राधा गोयल
नई दिल्ली
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किसी गलतफहमी के कारण अपनों ने ही छोड़ दिया,
थे इतने सम्बन्ध मधुर, जाने क्यों नाता तोड़ दिया ?
घर बेशक छोटा था, लेकिन सबके दिल में बहुत जगह थी,
गलतफहमियों की न जाने फिर ऐसी कौन-सी वजह थी ?
सब भाइयों का विवाह हो गया, सबका ही परिवार बढ़ गया,
जितना अधिक परिवार बढ़ा, उतना ही ज्यादा प्यार बढ़ गया
किन्तु हाय! परिवार की खुशियों का किसने रुख मोड़ दिया ?
एक विभाजन की रेखा ने पक्के घर को तोड़ दिया।
खुशियाँ रास न आईं हमारी, रार बढ़ाना शुरू किया,
गुपचुप-गुपचुप सबके कान में जहर घोलना शुरू किया
बहुत दिनों तक कोशिश की और इक-दूजे को फोड़ दिया,
भाई-भाई में फूट डालकर, नेह डोर को तोड़ दिया।
आपस में हो गया विभाजन, भाई… भाई से दूर हुआ,
एकसाथ मिलकर रहने का सपना चकनाचूर हुआ।
एक गलतफहमी ने सबके दृष्टिकोण को मोड़ दिया,
एक विभाजन की रेखा ने पक्के घर को तोड़ दिया॥