श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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लक्ष्मी बाई जयंती विशेष…..
शत-शत नमन है आपको हे राजकुमारी लक्ष्मीबाई,
अपने बल शक्ति से दुश्मनों का कलेजा था थर्राई।
बाबा की प्यारी मन्नू झांसी की कुलवधू वन्दना है आपकी,
हर एक भारतवासी नमन करता है,पूजा करते हैं आज आपकी।
नहीं कच्चे-पक्के खेल-खिलौने से,कभी खेली थी,
खेली तलवार,भाला,बरछा से,वही आपकी सहेली थी।
गुण गाती हूँ आपके मैं,हे वीर राज दुलारी लक्ष्मी,
अनगिनत संकट आने पर भी,न शीश झुका-न सहमी।
बाल अवस्था से ही,हर सुख-वैभव को आपने ठुकराया,
भारत माता को छीन नहीं ले,दुश्मन को था दूर भगाया।
आप ज्ञानी-बुद्धिमान थी,आपकी वीरता को सादर नमन,
आपके त्याग-तपस्या से ही,भारत में है आज हर ओर चमन।
भारत माता की लाड़ली बेटी,ज्ञान सभी बहनों को देना,
हर इक बहू-बेटी के हृदय में,त्याग-तपस्या भर देना।
नई नवेली दुल्हन बन,जब आप गई थी ससुराल,
झांसी के कोने-कोने में खुशी थी,पर शत्रु था बेहाल।
गृह,राज्य को संभाला,संभाला थी बीमार पति को,
कितना कष्ट सहा,जब ईश्वर ने बुलाया आपके पति को।
बांध पीठ पर बालक को,कमर में कसी तलवार,
निकल गई युद्ध क्षेत्र में घोड़े पर होकर के सवार॥
परिचय–श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।