सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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वेदों की वाणी की दुहिता
शब्दों का भंडार लिए,
तत्सम,सद्भव संग-साथ में-
रस-छंदों का प्यार लिए ।
लोकोक्ति संग सजी पंक्तियाँ
अलंकार का ज्ञान लिए,
लिपि हैं इसकी देवनागरी-
उच्चारण को साथ लिए।
नवरस से शोभित है हिंदी
भावों का संज्ञान लिए,
अक्षर-अक्षर बढ़ती जाती-
भारत की पहचान लिए।
आन-बान और शान देश की,
तुलसी की पहचान लिए।
राष्ट्र-वंदना करती हिंदी,
देवनागरी साथ लिए॥