संजय वर्मा ‘दृष्टि’
मनावर (मध्यप्रदेश)
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श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…
पिता का दाह-संस्कार कर,
घर के सामने खड़े होकर
अपने पिता को पुकारने की प्रथा
जो दाह-संस्कार में सम्मिलित होकर,
बोल रहे थे कि “राम नाम सत्य है”
उन्हें हाथ जोड़कर विदा करने की विनती।
जब श्राद्ध पक्ष आया,
श्रद्धा और हम के साथ
हमने तस्वीर देखी,
आँखों में पानी भर आया
गला रुँध आया,
तब बचपन की स्मृतियाँ
आ गई मस्तिष्क पटल पर,
श्राद्ध पक्ष में
पिता आएंगे पूर्वजों के संग,
धरती पर अपने लोगों से मिलने।
जब श्राद्ध में पूजन-तर्पण,
और उन्हें याद करेंगे जब हम
क्योंकि पिता जो थे वृक्ष की तरह,
पक्षियों का तो वे आसरा थे।
हमारे भी सहारा थे,
मगर आज हम हैं बेसहारा॥
परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL