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वे विवेकदात्री हैं-प्रो. खरे

मंडला (मप्र)।

वे विवेकदात्री हैं, और वे ही मनुष्य को विद्या-बुद्धि-विवेक प्रदान करती हैं। मानव को सत्य, धर्म, न्याय, सदाचार और पावनता के मार्ग पर ले जाती हैं।
मंडला स्थित शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. डॉ. शरदनारायण खरे ने यह बात डॉ. अंजली पंड्या के संयोजन व ग्रंथपाल डी.के. रोहितास के संचालन में माता सरस्वती प्राकट्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। प्राचार्य ने सरस्वती पूजा करके आशीर्वाद लिया। साक्षी ने वंदना की। तत्पश्चात श्री रोहितास ने दिवस पर प्रकाश डाला। डॉ. एस.पी. धूमकेती ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जयंती पर निराला जी के सृजन को चित्रित किया।
प्राचार्य डॉ. खरे ने स्वरचित सरस्वती वंदना का पाठ करके माहौल को चेतना से आप्लावित कर दिया। उन्होंने स्वरचित मुक्तक भी प्रस्तुत किया-
“सरस्वती माता नमन, विनय यही शत बार,
भाग्य सदा उन्नत रहे, दमके नित संसार।
हो गति-मतिमय लेखनी, पाऊँ दिव्य विवेक-
रीति-नीति के संग में, बनूँ मनुज मैं नेक॥”

छात्राओं ने भजन गाकर परिवेश को सरसता से भर दिया। इसमें समस्त स्टॉफ की उपस्थिति रही।