सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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शंखनाद यह महाकुंभ का,
करते सब स्वागत इसका
सभी कार्य तज चलो त्रिवेणी,
स्वागत करो वहाँ सबका।
दूर-दूर से लोग हैं आए,
जिज्ञासा मन में है अपार
सब कुछ उन्हें जानना कैसा,
होता यह पावन त्यौहार।
पावन भूमि त्रिवेणी नगरी,
इसका नाम रामायण में
बड़े भाग्य मानुष तन पाया,
कर लो स्नान त्रिवेणी में।
जहाँ-जहाँ पर बूँद पड़ी है,
छलका अमृत-रस प्यारा
कुंभ का मेला लगे वहीं पर,
बारह वर्ष बाद न्यारा।
एक सौ चौवालिस वर्ष के,
बाद पावन यह संयोग।
रह कर चालीस दिन संगम तट,
विविध भाँति करते तप योग॥
