ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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शब्दों से अक्सर,
अपने रुठ जाते हैं
अनुभव कहता है,
ख़ामोश रहना अच्छा है।
जिंदगी गुज़र गई,
अपनों को मनाने में
जो मने वो अपने थे ही नहीं,
जो अपने थे कभी मने ही नहीं।
शब्दों का बड़ा,
महत्व होता है
सम्भल-सम्भल कर बोलना,
अच्छा होता है।
कितना बदल गया है इंसान,
अपनों की कद्र कभी करता नहीं
और जिनकी करता है,
अफसोस! वो अपने हैं ही नहीं।
ये भी शब्दों का ही असर है,
शब्द-शब्द का फेर है
शब्द सुरीली वाणी,
एक शब्द दे गाली,
एक शब्द गुरुवाणी।
जिंदगी में कभी किसी से,
बुरा मत बोलो
अगर बोलना ही है,
तो तौल कर बोलो।
क्योंकि, शब्दों का बड़ा,
गहरा असर होता है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।