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शरद पूर्णिमा ‘सौभाग्य’

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आई शरद पूर्णिमा रात, गाएं राधे- राधे,
मन चल आज वृंदावन धाम, गाएं राधे-राधे
राधे-राधे सब गाएंगे, कृष्ण-कृष्ण गाएंगे,
सौभाग्य लाएंगे श्याम, गाएं राधे- राधे।

आई शरद पूर्णिमा आज, मोहन ब्रज बुलाए,
राधा रानी संग पधारे, युगल दर्शन सुहाए
गोकुल कण-कृष्ण समाए, आज श्रद्धालु झूमें-गाएं,
ऐसी धुन बजाए मोहन, अन्तर्मन निहाल होए।

आई शरद पूर्णिमा रात, श्याम मुरली बजाए,
श्याम मधुर मुरली बजाए, जग सुध-बुध खोए
रास रचइया सोहे श्याम, अलौकिक भेष बनाए,
श्याम संग अनेक गोपियाँ, सबकी जोड़ी होए।

आई शरद पूर्णिमाआज, फेन ज्योत्स्ना लजाए,
चाँद,चाँदनी छटा बिखेरी, वसुधा दुग्ध नहाए
चंद्र ध्यान दीर्घायु बढ़ाए, सोम, सोम बरसाए,
चाँदनी नहा रोग भगाएं, भाव भोजन लगाएं।

आई शरद पूर्णिमा आज,‌ आज शंकर पधारे,
शंकर, गोपी भेष धारण, माँ पार्वती पधारे।
सरक गई भोले की चुनरी, जान मोहन मुस्काए,
भोले शंकर शुभ मिलन श्याम, मुरादें पूर्ण होए॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।