तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)…
माँ सरस्वती का मान करें,
वो शिक्षक युग निर्माता है।
मूर्त बना सतगुरु वशिष्ठ की
सीखी धनुर्विद्या एकलव्य ने,
गुरुभक्ति का सम्मान करें-
वो शिक्षक युग निर्माता है।
गुरु रामकृष्ण परमहंस ने
विवेकानन्द को प्रकट किया,
शिष्यों का कल्याण करे-
वो शिक्षक युग निर्माता है।
मीरा को रविदास मिले तो
गिरधर नागर कृष्ण मिले,
जीवन को वरदान करे-
वो शिक्षक युग निर्माता है।
शिष्यों के जीवन में सर्वदा
देकर अपना ज्ञान धर्म से,
संस्कारों का निर्माण करे-
वो शिक्षक युग निर्माता है।
सर्व के कल्याण के लिए,
छोड़ कर निजी स्वार्थ को।
जो शिक्षा का अनुदान करे,
वो शिक्षक युग निर्माता है॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।