प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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शिव प्रेम चंद्रकला बढ़ता जाए।
कभी इसकी पूर्णिमा न आए॥
मन डूबे ऐसे शिव के चिंतन में,
कोई चिंतन निकट आ न पाए॥
मैं, हूँ तड़पती प्रभु जी लगन में,
आत्मा बेचैन तन-मन भवन में।
शिव नाम भव नौका बन जाए,
मुझ पापी को पार लगाए॥
शिव प्रेम चंद्रकला…
भगवन् कृपा हुई मन में लौ लागी,
पुण्य फले तुममें है आसक्ति जागी।
जब दरशन को मन भर-भर आए,
नैना चुपके से नीर बहाए॥
शिव प्रेम चंद्रकला…
बड़ा लाभ नहीं प्रभु तुम्हें पाने से,
बड़ी हानि नहीं तुम्हें भूल जाने से।
माया जोड़ मायापति को दिखाए,
करके भजन तू प्रभु रिझाए॥
शिव प्रेम चंद्रकला…
तन को सजा लो फिर भी ये मैला,
मन को संभालो ये बुराई का थैला।
नाम जप से जो जीवन सजाए,
प्रभु प्रीतम से दूरी मिटाए॥
शिव प्रेम चंद्रकला…
पापी से पापी जो प्रभु निष्ठा धारे,
संयम से निसदिन नाम को पुकारे।
करुणेश्वर शिव जी कृपा की पाए,
वैतरिणी आप ही तर जाए॥
शिव प्रेम चंद्रकला बढ़ता जाए।
कभी इसकी पूर्णिमा ना आए॥
मन डूबे ऐसे शिव के चिंतन में,
कोई चिंतन निकट न आ आए॥