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शिव बारात

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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कर कठिन तपस्या माता को, शिव ने जब था स्वीकार किया,
सज गई बरात देव आए अपने-अपने वाहन लाए
सब अगल-अलग चल पड़े वहाँ,
माता का मण्डप सजा जहाँ
शिव सबसे पीछे निकले थे
बाराती सब उनके संग थे,
बारात देखने आते जो
मारे डर के भाग जाते वो
ऐसी बारात न देखी थी
सपने में भी नहीं सोची थी,
कोई बिना पैर कोई कई पैर
कोई मुख विहीन कोई सिर औ पैर
कोई कई आँख कोई कई कान
कोई कई नाक कोई बहु आनन,
शिव जी का रूप निकाला था
मुण्डों की माला डाला था
सर्पों को गले लपेटे थे
बाघंबर धारी ऐसे थे
जब बारात हिम गृह पहुँची,
देखन सारी सखियाँ पहुँची।
ऐसी बारात निराली थी,
भयभीत सभी नर-नारी थीं॥