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शिव शक्ति का दिव्य मिलन

संजीव एस. आहिरे
नाशिक (महाराष्ट्र)
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फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है,
आओ सब मिल महाशिवरात्रि मनाएं
देवाधिदेव महादेव रुद्र शिवशंकर की,
विवाह तिथि की आज शिवरात्रि मनाएं।

शिव-शक्ति के दिव्य मिलन की यह योग रात्रि है,
महारुद्र के अर्धनारी-नटेश्वर बनने की शिवरात्रि है
शिव से आज अभिन्न होने वाली पार्वती चारुगात्री है,
शिव-पार्वती के विवाह की मंगल बेला महाशिवरात्रि है।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में हिमालय शिखर की ओट में,
शैलपुत्री पार्वती शिव से बद्ध हुई आज बड़े ही ठाट में
चंचल समीर कुछ पल रुककर स्थिर थी अंतर पाट में,
तीनों लोक मौजूद थे महामेरू हिमालय के घाट-घाट में।

ब्रम्हा, विष्णु स्वयं थे उपस्थित इस कमाल विक्रम बेला में,
शिव-शक्ति के दिव्य योग पर अग्नि प्रकटी ब्रम्हांड शाला में
स्वयं ब्रम्हा और विष्णु जी अग्नि पूजन करते गगन प्रशाला में,
दिव्य सुमनों की निरंतर वर्षा हुई ब्रम्हांड के तीनों ताला में।

इस वर्ष यह महाशिवरात्रि बड़ी अद्भुत अनोखी और अप्रतिम,
प्रयागराज महाकुम्भ में सम्पन्न हुआ शाही स्नान जो अंतिम।
तीर्थराज की त्रिवेणी संगम धारा में साधुओं का संगम अनुपम,
हर-हर महादेव हर हर गंगे बोल घूमे, संगम पर जो है शीर्षतम॥

परिचय-संजीव शंकरराव आहिरे का जन्म १५ फरवरी (१९६७) को मांजरे तहसील (मालेगांव, जिला-नाशिक) में हुआ है। महाराष्ट्र राज्य के नाशिक के गोपाल नगर में आपका वर्तमान और स्थाई बसेरा है। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी व अहिराणी भाषा जानते हुए एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) एवं एम.बी.ए. (मानव संसाधन) तक शिक्षित हैं। कार्यक्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी (नाशिक) होकर सामाजिक गतिविधि में सिद्धी विनायक मानव कल्याण मिशन में मार्गदर्शक, संस्कार भारती में सदस्य, कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ विविध विषयों पर सामाजिक व्याख्यान भी देते हैं। इनकी लेखन विधा-हिंदी और मराठी में कविता, गीत व लेख है। विभिन्न रचनाओं का समाचार पत्रों में प्रकाशन होने के साथ ही ‘वनिताओं की फरियादें’ (हिंदी पर्यावरण काव्य संग्रह), ‘सांजवात’ (मराठी काव्य संग्रह), पंचवटी के राम’ (गद्य-पद्य पुस्तक), ‘हृदयांजली ही गोदेसाठी’ (काव्य संग्रह) तथा ‘पल्लवित हुए अरमान’ (काव्य संग्रह) भी आपके नाम हैं। संजीव आहिरे को प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अभा निबंध स्पर्धा में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार, ‘सांजवात’ हेतु राज्य स्तरीय पुरुषोत्तम पुरस्कार, राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार (पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार), राष्ट्रीय छत्रपति संभाजी साहित्य गौरव पुरस्कार (मराठी साहित्य परिषद), राष्ट्रीय शब्द सम्मान पुरस्कार (केंद्रीय सचिवालय हिंदी साहित्य परिषद), केमिकल रत्न पुरस्कार (औद्योगिक क्षेत्र) व श्रेष्ठ रचनाकार पुरस्कार (राजश्री साहित्य अकादमी) मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सम्मान, ‘राम दर्शन’ (हिंदी महाकाव्य प्रस्तुति) के लिए महाराष्ट्र सरकार (पर्यटन मंत्रालय) द्वारा विशेष सम्मान तथा रेडियो (तरंग सांगली) पर ‘रामदर्शन’ प्रसारित होना है। प्रकृति के प्रति समाज व नयी पीढ़ी का आत्मीय भाव जगाना, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु लेखन-व्याख्यानों से जागृति लाना, भारतीय नदियों से जनमानस का भाव पुनर्स्थापित करना, राष्ट्रीयता की मुख्य धारा बनाना और ‘रामदर्शन’ से परिवार एवं समाज को रिश्तों के प्रति जागरूक बनाना इनकी लेखनी का उद्देश्य है। पसंदीदा हिंदी लेखक प्रेमचंद जी, धर्मवीर भारती हैं तो प्रेरणापुंज स्वप्रेरणा है। श्री आहिरे का जीवन लक्ष्य हिंदी साहित्यकार के रूप में स्थापित होना, ‘रामदर्शन’ का जीवनपर्यंत लेखन तथा शिवाजी महाराज पर हिंदी महाकाव्य का निर्माण करना है।