उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते हार ना मानी वह रानी थी,
खूब लड़ी थी अपने बल पर, बलशाली वह रानी थी…।
प्रजा की रक्षा की खातिर दुश्मनों को मजा चखाती थी,
जीना हराम कर दिया उसने, छक्के छुड़ाती लड़ती थी…।
आन-बान-शान-शौकत से उनसे दुश्मन जलते थे,
चुन-चुनकर रानी ने खदेड़ा हथियार छोड़ वह भागे थे…।
वीर बहादुर राजपूत रानी ने कई राज्य पर शासन किया,
अपनी कार्ययोजना के लिए वह तो विश्व प्रसिद्ध हुई…।
उनकी बहादुरी पर प्रजा शीश झुकाते हाथ जोड़ खड़ी थी,
सुख शांति वैभव समृद्धि के लिए प्रजा गुणगान करती थी…।
निठल्ले, कुछ कामचोर को उनकी प्रशंसा न सुननी थी,
रास न भायी सुख शांति, उनको देश में सेंध लगवानी थी…।
जैसे ही चाल का पता चला, रानी को कारावास में डाल दिया,
उनकी एक-एक चाल को विफल करके मौत का दंड दिया…।
बदले की भावना में जलकर जिसने देश को झोंका है,
कहते हैं जैसे को तैसा फिर फल मिलना निश्चित है…।
भारत के कौने-कौने में बहुत ही ऐसी वीरांगना रानी है,
जिनके बल से आज भी भारत की माटी उज्जवल है…॥